Question :- Define money and Describe its Primary Functions. मुद्रा की परिभाषा दीजिए एवं इसके प्राथमिक कार्यों का उल्लेख कीजिए
अथवा :- मुद्रा में सामान्य स्वीकृति होनी चाहिए। इस कथन के संदर्भ में मुद्रा के कार्यों की विवेचना कीजिए ।
Money is What money does.” On the basis of this statement discuss functions of money.
अथवा, मुद्रा वही है हो मुद्रा का कार्य करती है। ” इस कथन के आधार पर मुद्रा के कार्यों की विवेचना कीजिए
मुद्रा के स्वभाव तथा कार्यों के आधार पर विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने अलग-अलग दृष्टिकोण से इसे परिभाषित करने का प्रयत्न किया है विभिन्न अर्थशास्त्रियों द्वारा दि गई परिभाषाओ को मोठे तौर पर दो भागों मे बाँटा जा सकता है – a प्रकृति पर आधारित परिभाषये तथा b विचारों पर आधारित परिभाषा
मुद्रा की परिभाषा दीजिए :- मुद्रा की परिभाषाओ को उनकी प्रकृति के आक्षर पर दो श्रेणियों मे बाटा जा सकता है
1. वर्णात्मक परिभाषा :- इस वर्ग मे मुद्रा की उन परिभाषाओ को समिलित किया जा सकता है जो परिभाषा के स्थान पर वर्णन को अधिक दृष्टिकोण से अधिक उपयिकत प्रतीत होती है। इस वर्ग में हार्टले विदर्स, टॉमस तथा सीजविक की परिभाषा आती है
2. वैधानिक परिभाषा :- इस वर्ग में उन परिभाषाओ को सम्मिलित किया जाता है जो मुद्रा के राज्य मे सिद्धांत पर आधारित हैं । इस सिद्धांत के अनुसार आर्थिक संबंधों में आवसीक वस्तु ऋण हैं, अतः मुद्रा वही हो सकती हैं, जो राज्य की ओर से ऋण चुकाने का साधन घोषित कर दि जाए। जर्मन अर्थशास्त्री नैप तथा इंग्लिश अर्थशास्त्री हट्रे के मुद्रा की परिभाषा इसी दृष्टिकोण से दिन है
प्रो० नैप के अनुसार ” कोई भी वस्तु, जो राज्य द्वारा मुद्रा घोषित कर दि जाती है, ‘मुद्रा’ कहलाती है ”
“मुद्रा का विधिग्रह वस्तु है अर्थात ऐसी वस्तु है जिसे ऋणों और मूल्यों के भुगतान में स्वीकार करना वैधानिक रूप से अनिवार्य हो। साथ ही यह हिसाब की इकाई अर्थात एक ऐसी वस्ती भी है, जिसमें सभी तरह की कीमतों का हिसाब-किताब रखा जाए ” इस परिभाषा को प्रो नैप की परिभाषा के ऊपर सुधार मन जा सकता है क्योंकी इस परिभक्ष के अनुसार मुद्रा की विशेषता न केवल ‘अनिवार्य स्वीकृति’ है अपितु यह कारीशक्ति के रूप में भी कार्य करती है।