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प्रबंधकीय लेखांकन की परिभाषा दीजिए तथा इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए !

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Define management accounting and discuss its importance. प्रबंधकीय लेखांकन की परिभाषा दीजिए तथा इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए !

साधारण शब्दों में कोई भी लेखांकन, जो प्रबंध के कार्यों में सहायता हेतु आवस्यक सूचना प्रदान करती है, प्रबंध लेखांकन कहलाती है| इस प्रकार प्रबंधकीय लेखांकन प्रबंध के लिए प्रबंधकीय कार्यों मे लेखांकन सेवा है जो प्रबंध की कुशलता बढ़ाने हेतु आवस्यक सूचना प्रदान करता है

Definition of management accounting प्रबंधकीय लेखांकन की परिभाषा

T. S. Rose के अनुसार, ” प्रबंधकीय लेखनकन, लेखा सूचना की ऐसे रूप में प्राप्ति, विश्लेषण, निदान तथा व्याख्या है जिससे प्रबंध को सहायता पहुँचे |”

I. C. W. A. [ London ] के शब्दों में, ” किसी प्रकार की लेखा विधि जो व्यवसाय को अधिक क्षमतपुरक चलाने के योग्य बनती है, प्रबंधकीय लेखांकन या लेखा विधि कही जाती है |”

वर्तमान जटिल व्यावसायिक तथा औधोगिक परिवेश में प्रबंधकीय लेखनकन प्रबंध का अभिन्न अंग हो गया है | यह प्रबंधक को पग-पग पर मरदर्शन का कार्य करता है | इससे प्रबंधक की कार्यक्षमता मे वृद्धि के साथ-साथ- कर्मचारियों की कारीखसंत में वही वृद्धि होती है |

प्रबंधकीय लेखांकन के महत्त्व का स्पष्टीकरण  इसके निम्नलिखित लाभों से होता है 

1. योजना निर्माण में सहायक :-  वर्तमान युग योजना का युग है |वही उत्पादक अपने उदेश्य में सफल होता है जजों योजनबंद्ध तरीके से उत्पादन करता है | योजना के निर्माण के पूर्व प्रबंधकों को व्यवसाय के भावी यानों वर्तमान दिशा का विश्लेषन करना आवस्यक होता है | प्रबंधकीय लेखकन व्यवसाय के सभी भूतकाल के आंकड़ों को प्रस्तुत करता है जिसके आधे पर प्रबंधक वर्तमान परिस्थितियों के संदर्भ में भयो योजना का निर्माण करता है |

2. लक्ष्य का निर्धारण करने मे सहायक :- प्रबंध लेखांकन से प्राप्त सूचनाओ के आधार पर प्रबंधक अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेता है तथा लक्ष्य प्राप्ति के लिए एक निश्चित मार्ग निर्धारित कर लेता है |

3. निर्णय लेने मे सुविधा :- किसी नीति-निर्धारण तथा योजना बनाने में पूर्व प्रबंधन के सामने अनेक विकल्प होते है जिनमें से उन्हे निर्णय लेना होता है की किसे अपनाया जाय | प्रबंधकीय लेखांक की सूचनें इस तथ्य को प्रकट करती है की इनमें से कौन-सी योजना भूतकाल में अच्छी थी | इस प्रकार विकल्पों का चुनाव सरलता से किया जा सकता है तथा शीघ्र निर्णय लिए जा सकते हैं |

4. उचित नियंत्रण एवं व्यवसाय :- प्रबंधकीय लेखांकन द्वारा प्राप्त सूचनाओ के आधार पर पूर्व निर्धारित तथ्यों तथा वर्तमान की तुलना सरल हो जाता है | इनसे अनवस्यक व्यव, कर्मचारियों की त्रुटि आदि की जानकारी होती है | अतः उन कर्मचारियों की अधमताओ तथा त्रुटियों पर नियंत्रण रखने था अच्छी व्यवस्था करने में प्रबंधकीय कार्यक्षमता बढ़ती है | इसकी सहायता होता है

5. कार्यक्षमता में वृद्धि :- प्रबंध लेखांकन संस्था की करयुकष्ट बड़ाती है | इसकी सहायता से अनकस्यक कशी, अपव्यय तथा कार्य दोषों को नियंत्रित तथा दूर किया जा सकता है | जिसके फ्लटसवरूप औधोगिक उत्पादकता तथा श्रम क्षमता में वृद्धि हो जाती है |

6. अधिकतम लाभ प्राप्त करने में सहायक :–  योजना, वितरण तथा नियंत्रण क्रियानों में सहायक होने के कारण प्रबनधकिया लेखांकन विनोयोजित पूँजी पर अधिकतम लाभ कमाने में योग देती है |

7. व्यवसाय चक्र से सुरक्षा :- प्रबंधनीय लेखांक से जो भी सूचनाएं मिलटि है वह भूतकाल के व्यापार चक्रों पर पर्याप्त प्रकाश डालती हैं | प्रबंध सूचनाओ के आधार पर व्यापार चक्र के कारणों का पता लगाया जाता है और इससे सुरक्षा के लिए व्यवसाय की जाती है |

8. काम मूल्य में श्रेष्ट उत्पादन कर ग्राहकों की सेवा :- प्रबंधकीय लेखांक की सूचनाओ का प्रयोग कर प्रबंधक अपने उत्पादन को बढ़ाने हैं और लागत को काम करते हैं | साथ ही उत्पादित वस्ती की श्रेष्ठता को भी बढ़ते हैं फलतः लोगों को कम मूल्य में श्रेष्ठ उत्पादन की प्राप्ति होती है तथा उनके जोवन- स्तर में सुधार होता है |

9. राष्ट्र तथा समुदाय का आर्थिक उत्थान :- प्रबंधकीय लेखा-विधि द्वारा पूरे रस्त्र तथा समुदाय का आर्थिक उत्थान किया जाता है

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