देश मे कृषि एवं ग्रामीण साख की आवश्यकताओ की पूर्ति तथा इस कार्य में संलग्न विभिन्न संस्थाओ के कार्यों में समन्वय स्थापित करने के लिए भारत सरकार ने जुलाई 1982 ,एमम राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक [ National Bank for Agriculture and Ruler Development-NABARD] की स्थापना की है। इस बैंक ने भारतीय रोजर्व बैंक के कृषि ऋण विभाग, ग्रामीण योजना एवं ऋण कक्ष पुनर्वित एवं विकास निगम के कार्य को अपने हाथ में ले लिया हैं इसकी स्वीकृति और परिदत्त पूँजी { subscribed and paid-up capital} 100 करोड़ रुपये हैं जिसमें केंद्र सरकार तथा रिजर्व बैंक का अंशदान बराबर है।
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं अन्य कार्य-कलापों केन लिए ऋण उपलब्द करने तथा इस सबंध में नीति-निर्धारण का कार्य करता है।
इस बैंक के मुख्य कार्य है
- यह बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए निवेस एवं उत्पाद ऋण देनेवाली संस्थाओं के पुनर्वित के लिए मुख्य पार्टिनिधि का कार्य करता है ।
- इसका दूसरा मगत्वपूर्ण कार्य पुनर्वास कार्य पुनर्वास योजनाएं तैयार करना, उन पर निगरानी रखना तथा ऋण उपलब्ध करने वाली संस्थाओं का पुनर्गठन एवं उनके कर्मचारियों का प्रशिक्षण हैं।
- इस बैंक का एक अन्य कार्य ऋण वितरण प्राणली की क्षमता को बढ़ाने के लिए उनकी संस्थागत व्यवस्था को विकसित करना है।
- यह बैंक क्षेत्रीय स्तर पर विकास कार्य में लागि सभी संस्थाओ के क्रिय-कलाप में समन्वय सठपित करने का कार्य करता है।
इस प्रकार स्पष्ट है की कृषि विकास में नाबार्ड की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि इसने कृषि के विकास के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में कृषि साख की सुविधा प्रदान की है